...लो फिर विस्‍फोट हो गया

उदय केसरी
...यदि दो-चार दिनों तक कोई और विस्फोट नहीं हुआ, तो 13 सितंबर को दिल्ली के करोलबाग, गफ्फार मार्केट, कनाट पैलेस व बाराखंभा रोड क्षेत्र में हुए बम विस्फोट और उससे हुई ताबाही को भी हम भूलने लगेंगे और भूलते-भूलते अचानक से फिर एक दिन किसी शहर में श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट की खबर सुनकर सहम जाएंगे।...
ये पंक्तियां 15 सितंबर को सीधीबात पर 'कायरों से डरकर हम भी हो गए कायर' शीर्षक अंतर्गत पोस्ट किये गए आलेख का अंश है। इस पोस्ट के दो दिन पहले (13 सितंबर) ही दिल्ली में श्रृंखलाबद्ध बम विस्‍फोट में 22 बेगुनाहों की जान गई और 100 लोग घायल हो गए थे...और अब फिर महज 13 दिनों बाद (27 सितंबर को ) दिल्ली के महारौली में एक और बम विस्‍फोट हो गया, जिसमें एक लड़के की मौत और दर्जनों घायल हो गए।...
वाकई में, छुपकर वार करने वाले चंद कायर आतंकियों की कायरता एक अरब से भी अधिक आबादी वाले भारत पर भारी पड़ रही है।...और हम कमजोर। सुरक्षा इंतजामात और इसके आकाओं का रवैया भी आम आदमी जैसा है, जो बड़े से बडे़ जख्म पर जरा-सा मरहम लगने भर से खुश हो जाता है। पांच आतंकियों को क्या पकड़ लिया...खुश हो गए...जैसे आतंक के पांव ही उखाड़ लिये...और चद्दर तान के सोने चल दिये...प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह करार की क्रेडिट लेने अमेरिका चल दिये, तो गृहमंत्री ने एक कैबिनेट मीटिंग करके सारी जिम्मेदारियां पूरी कर ली।...दिल्लीवासी समेत पूरे देश की जनता के लिए 13 सितंबर की तारीख बस 'जीके' के सवाल का उत्तर बन गई....वाह रे! बहादुर भारत और यहां की महासहनशील जनता।...रेल मंत्री लालू प्रसाद ठीक कहते हैं, देश का खुफिया तंत्र फेल हो चुका है। पर, क्या केवल देश की खुफिया व्यवस्था ही फेल हुई है, महज सत्ता की राजनीति के वास्ते आतंकियों और राष्ट्रीय हितों में फर्क नहीं कर पाने वाले राजनेताओं के बारे में क्या कहा जाए, जिनमें से कई सिमी पर प्रतिबंध हटाने की पैरवी में भी देश हित देखते हैं।...और जब विस्‍फोट में इसी सिमी के कायर पकड़े जाते हैं तो भी उनकी आंखें नहीं खुलती।...बल्कि ये जवाब में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की पैरवी करते हैं। बीजेपी केवल नैतिकता के आधार पर कभी प्रधानमंत्री, तो कभी गृहमंत्री के इस्तीफे की मांग करती है।...यदि बजरंग दल की सिमी से तुलना की जा रही है, तो इसके जवाब में बीजेपी क्यों नहीं अपने बजरंगियों की मदद से सिमी के आतंकियों को सबक सिखाने की कोशिश करती है। इसमें तो उससे ज्यादा राजनीतिक फायदा मिलता।...जितना किसी दंगे में उपद्रव मचाने के बाद, चर्चों पर हमले करने के बाद।...पर इतनी कुव्वत कहां, निहत्थों और निर्दोषों पर सितम ढाकर धर्म की रक्षा और हिन्दुत्व की स्थापना करने वाले नैतिक व व्यक्तिगत तौर पर काफी कमजोर और कायर होते हैं।
ऐसे में, कौन करेगा इन छुपे कायर आतंकियों से मुकाबला, उनका सफाया? भ्रष्ट राजनेताओं, नाकाम खुफिया एजेंसियों और अच्छी-बुरी समस्याओं से घिरे पुलिस प्रशासन के बीच आम आदमी की हिफाजत कौन करेगा? देश के युवाओं पर भी भरोसा कम हो चला है। देश की रक्षा, सुरक्षा व दुश्‍मनों से लड़ने वाली नौकरियों में जाने के प्रति युवाओं में रूझान पहले जैसा नहीं रहा है। सैन्य बलों में सालों से अफसरों की कमी है...युवाओं को आकर्षित करने के लिए सेना मार्केटिंग के फंडे इस्तेमाल करने पर मजबूर हो रही है...प्रख्यात क्रिकेटर कपिलदेव को ले. कर्नल का मानद पद देकर।...तो फिर क्या हमें यह मान लेना चाहिए कि हमारा, इस हिन्दुस्तान का भगवान ही मालिक है?

9 comments:

  1. ये सब तो अभी और होगा क्योंकि सरकार, मानावधिकार संगटन, धर्मनिरपेक्ष लोग सभी इन आतंकवादियों के साथ है एक आतंकवादी मरना इन लोगों को सुहाता नहीं चाहे कितने ही लोग मर जाए..

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  2. सर में आपकी बात से सहमत नही हु कि हमें भी आतंकवादियों कि तरह पेश आना चाहिए . बजरंग दल भी कोई दूध का धुला नही है . हमें अलगाव से बचकर समस्या को भीतर तक देखना पड़ेगा . उसके नेपथ्य में जाकर देखना होगा . कोई सोफ्टवेयर इंजिनीयर केसे आतंकवादी बन जाता है ?
    कही न कही दाल में कला भी है. यह पुरी लडाई विचारधारा कि लडाई है . हमें भी इसे एसे ही निपटाना पड़ेगा.

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  3. sir aapki bat sahi hai, lekin hamare desh main aatankvad ko lekar koi chinta najar nahin aati kya yeh sab aise hi jari rahega aur begunah kab tak marte rahenge. kya hamari jimmedari sirf likhne tak hiseemat hai . kya aam admi iske liye koi kadam nahin utha sakta . hum toh budhijeeve hai hum kyon kuch nahin karte iski pahel kab hogi . kahin der na ho jaye

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  4. सरकार का और सुरक्षा व्यवस्था का यही आलम रहा तो हमें रोज नये धमाके सुनने की आदत हो जायेगी और हम फिर प्रतिकार भी नही करेगे.

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  5. sir ye baat to sahi hai ki aatankiyo ne desh me dar paida kiya hai aur yuva acchi salerry ke liye dusre job ko tarjeeh de rahe hai par iske baad bhi to jagrukta faila sakte hai. neta to apni dekhte hai isliye inse ummed karna bekar hai ki ye log desh ki suraksha ke liye serious hai. aapne sahi likha hai mai aapse sahmat hoo.

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  6. ye bat nahi samajh me aati ki hamara loktantra kaha ja rha hai.kabhi simit sansadhno ka rona roya jata hai to,kabhi khuphiya tantra asphlta ko jimmedar thahraya jata hai.. hona ye chihiye ki unhi simit sansadhno ka bharpur labh uthaya jana chhiye....

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  7. Nahi aisa nahi kah skte ki is desh ka malik bhagwan hi hai.. jab tak hamre desh ki jant jagruk prsasn chust durust nahi hogi , ye hmle jari rhege. hmare netaon ko rajnit nahi krni chahiye... awadhesh

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  9. sir appka kahana bohut had tak sahi hai. sarkar key bharosay desh ko nahi chor sakte kyoki sarkar ko ab atankbadi aache lafte hai... jaise afjal .

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