तो भारत क्‍यों नहीं, पीओके में घुसकर मार सकता?

उदय केसरी
^पाकिस्तान में घुसकर मारो^ यह आदेश है अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश का। बुश ने तालिबानी व अलकायदा के आतंकियों के खिलाफ अफगानिस्तान में तैनात अपनी सेना के कमांडरों को पहली बार यह अधिकार दिया है कि पाक के उत्तरी कबायली इलाके में गढ़ बना रखे आतंकियों को मारने के लिए किसी की इजाजत की जरूरत नहीं।...यहां तक कि अमेरिकी अधिकारियों ने इस आदेश के बाद कहा है कि अमेरिकी सेना अब पाक की धरती पर कार्रवाई करेगी और पाक को सिर्फ इसकी सूचना देगी, इजाजत नहीं मांगेगी। इस आदेश से पाक के होश उड़ गए हैं....
वाह! क्या अमेरिकी दादागिरी है।...अफसोस ऐसी दादागिरी भारत नहीं कर सकता। क्या कभी भारतीय फौज बिना किसी इजाजत के पाक अधिकृत कश्‍मीर (पीओके) में घुसकर भारत में खून की नदियां बहाने वाले आतंकियों को खदेड़ कर मार सकती है, बिल्कुल नहीं...हम तो शांतिप्रिय देश हैं...हम हमला नहीं करते...केवल बचाव करते हैं। भले ही कोई हमारी ही जमीन हथिया ले...वहां आतंकी गढ़ बना ले...और वहां से हमारे ही खिलाफ आतंकी कार्रवाइयों को अंजाम दे।...और फिर अमेरिका जैसी दादागिरी करने से कहीं पाक से रिश्‍ता खराब हो गया तो रहा-सहा कश्‍मीर न हाथ से निकल जाए।...लेकिन अमेरिका को ऐसी कोई परवाह करने की जरूरत नहीं, क्योंकि वह विश्‍व का सबसे धनी व ताकतवर देश है, इसलिए वह सात समंदर पार से आकर भी अपने दुश्‍मनों से खोज-खोज के बदला ले सकता है...पर हम यानी भारत शायद गरीब और कम ताकतवर देश हैं, हम अपने सीने पर लोटते सांपों को भी कुचल नहीं सकते हैं...इतनी हिम्मत तो केवल अमेरिकी राष्ट्रपति ही कर सकता है...
आजकल मोहल्ले के दादाओं से दोस्ती करके चलने में ही भोले-भाले लोगों की भलाई समझी जाती है...भारत भी विश्‍व के मोहल्ले में भोला-भाला इंसान है, जिसे अमेरिका जैसे दादा से दोस्ती करके ही चलना पड़ेगा...सो वह पुरानी सारे घात भूल कर परमाणु करार के जरीये दोस्ती करने के लिए आतुर है...लेकिन जिस आतंकवाद से भारत अमेरिका से सालों पहले से जूझता रहा है, उसका एहसास अमेरिका को तब हुआ, जब गोली उसकी चमड़ी पर लगी, यानी 11 सितंबर 2001 को जब अमेरिका की नाक पेंटागन बिल्डिंग को अलकायदा के आतंकियों ने नेस्तनाबूद कर दिया। इससे बौखलाए अमेरिका ने बिना किसी की इजाजत के अफगानिस्तान पर कब्जा जमा रखे तालिबानियों पर हमला बोल दिया। लेकिन वह अब तक अपने सबसे बड़े दुश्‍मन ओसाम बिन लादेन को नहीं मार पाया है। इसलिए अफगानिस्तान में तालिबानियों को सत्ताच्यूत कर अपने पसंद की सरकार बना लेने के बाद भी चुप नहीं बैठा है। अफगानिस्तान में अपनी फौज को तैनात कर अलकायदा आतंकियों के विरुद्ध अभियान जारी रखे हुए है। और अब जब अमेरिकी खुफिया तंत्रों द्वारा यह पता चला कि अलकायदा और ऐसे आतंकी संगठन पाकिस्तान के उत्तरी कबायली इलाकों में स्थित अड्डों में अमेरिका के खिलाफ 9/11 जैसे हमले की साजिश रच रहे हैं, तब फिर अमेरिका बौखला गया है।...लेकिन इससे पहले चींख-चींखकर भारत अमेरिका को बताता रहा कि पाकिस्तान आतंकियों को अपनी धरती पर पनाह ही नहीं दे रहा, पैसे और हथियार से मदद भी कर रहा है, पर अमेरिका के कान में जूं तक नहीं रेंगा।...आखिर हमारे यानी भारत के दर्द की औकात ही क्या है कि जिसका फौरन बदला लिया जाए...इसलिए तो करगिल, संसद पर हमले जैसे पाकिस्तानी दुष्साहस के बाद भी भारत बस बचाव की मुद्रा में रहा। और आतंकी बड़े आराम से एलओसी में खा-पीकर, आतंकी प्रशिक्षण प्राप्त कर मुसटंडे बनते रहे और अब हमारे देश में बता-बताकर एक नहीं, बारंबार बम विस्फोट कर रहे हैं...क्या वाकई में हम कमजोर हो गए हैं या भारत की विदेश नीति में कोई भीरूपन है, जिसके कारण हमारे देश की सेना को केवल और केवल हमले का बहादुरी से जवाब देने का ही आदेश है। अमेरिका की तरह अमन के दुश्‍मनों को खोजकर मारने का नहीं, तो फिर क्योंकर हम विदेश नीति और इसके नियंताओं का विरोध न करें, जिसके कारण हमें अपने घर के अंदर ही विदेशी आतंकियों से लड़ना पड़ रहा है।...फिर भी हमारे देश की सरकार बौखला नहीं रही, ज्यादातर समय सत्ता की गंदी राजनीति में व्यस्त रहती है...और आतंकी धमाकों के बाद भी राहत और सुरक्षा के नाम पर केवल राजनीतिक रोटियां सेंकी जाती है। राष्ट्रीय सम्‍प्रभुता को चुनौती दे रहे पाकिस्तानी आतंकियों से निपटने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती। पता नहीं क्या हो गया हमारे देश को...जिसका इतिहास दुश्‍मनों के छक्के छुड़ा देने की दास्तानों से अटा पड़ा है।

6 comments:

  1. vo kya hai ki l.o.c. paar karne jaisa samarthya hamare karta dhartaon ke paas nahin hai. unhe to apas men ladne aur maryadaon ko paar karne se hi fursat nahin milti hai to l.o.c. kahan se paar karenge.

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  2. भारत के लोग जीओ और जीने दो में यकीन करते हैं।

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  3. It is indeed rightly said that our leaders lack the courage to enforce such an attack on POK to wipe out the terrorist camps operating out there. The reason being the lack of collective unity among the leaders of various parties to carry out such an decisive attack on POK.

    Again, India, in the past 10,000 years of its history, had never carried out any collective, unified and organised attack on any of its aggressors be it Ghazni, Ghauri, Babar and the Mughals, French, Portuguese and British colonisers.

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  4. सर आपके द्वारा लिखा गया लेख कही न कही आत्मा की आवाज से निकलने वाली वह अनुभूत है जो हर भारतीय के दिल से निकलनी जरूरी है रही बात अमरीका की पाक से डरने की बात नही है तो वह सही है आपको मै बताना चाहता हु की भारत भी किसी से नही डरता इसका प्रमाण पाक पैर भारत की कारगिल विजय बताती है
    लकिन हर भारत वासी राजनितिक कठमुल्लाओं से हरी है
    हमे लाल बहादुर जैसे वयक्ति की जरूरत है कल का विस्फोट हमारी आत्मा को झकजोर दिया कास आप हम लोगो के विचरो को समझ पते

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  5. मैं आपकी बातों से अक्षरशः सहमत हूँ। भारत को एल ओ सी पार करने के लिए ये इंतज़ार ही नहीं करना चाहिए। बल्कि एल ओ सी जैसी कोई चीज़ ही नहीं होनी चाहिए। एल ओ सी का नामो निशान तक भारत को ख़त्म कर देना चाहिए। वो कैसी लाइन ऑफ़ कंट्रोल जिस पर हमारा कोई कंट्रोल ही न हो। कहा गया है -'शठे शाठ्यम समाचरेत'

    इस देश में कई ऐसे लोग हैं जो कहते हैं की धर्म पर चलना चाहिए। शायद ये उक्ति धर्म में ही कही गयी है।

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  6. सर मरे हुए को क्या मारना?इतिहास साक्षी है कि भारत ने कभी पहले से किसी पर हमला नहीं किया,हाँ जब दूसरो ने हम पर हमला किया तो हमने वीरता से लडाई लड़ी और भगवन कि कृपा से जीते भी!लेकिन सर अब विभीषण और जयचंद हर घर में पैदा हो रहे है तो घर कि सुरक्षा व्यवस्था तो गड़ बढाएगी.

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