उदय केसरी
क्या आप अरुंधती राय को जानते हैं? आपमें से कई लोग कम से कम इतना जरूर जानते होंगे कि वह भारत की प्रसिद्ध लेखिका व समाजसेविका हैं। पर क्या आप यह जानते हैं कि उन्हें खुद को भारतीय कहने में शर्म आती है। हैरानी हो रही है न, पर यह सच है। यही नहीं, वह भारतविरोधी मुहिम भी चला रखी है, जिसमें उनका साथ दे रहे हैं कई एनआरआई भारतीय। मुहिम रूपी इस राष्ट्रविरोधी दुष्साहस का मकसद है, भारत से कश्मीर को आजाद कराना। सोमवार (15 तारीख) को जब पूरा देश राजधानी दिल्ली में आतंकी बम विस्फोट की घटना से चिंतित था, तब श्रीनगर में आयोजित कश्मीरियों की एक रैली में अरुंधती राय बोल रही थी,‘'कश्मीर को भारत और भारत को कश्मीर से आजादी चाहिए। लोग कश्मीरियों की बात नहीं सुनना चाहते हैं।'
अपने देश की सहनशक्ति वाकई में असीम है कि एक तरफ, अपने ही देश के मतीभ्रष्ट नौजवानों का संगठन सिमी आईएसआई के इशारे पर देश में आतंकी वारदात को अंजाम दे रहा है और इंडियन मुजाहीद्दीन के नाम उसकी जिम्मेदारी भी ले रहा है। दूसरी तरफ, अल्पसंख्यक वोट बैंक बचाने लिए अपने ही देश के राजनेता सिमी के रहनुमा बने फिर रहे हैं। पुलिस की खुफिया शाखा और एसटीएफ के सूत्रों की मानें तो ऐसे आतंकियों को पनाह देने वालों में मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात व उत्तर प्रदेश के कई राजनेता और उद्योगपति शामिल हैं। राजनेताओं में कांग्रेस, भाजपा के अलावा कई क्षेत्रीय दलों के बड़े-छोटे पदाधिकारी भी शामिल हैं।
वाह! धन्य हैं भारतमाता और उसकी सहनशीलता, जिसकी कोख से पैदा लेकर, खून-पसीने से हासिल आजाद भारत में पल-बढ़कर कुछ लोग उसी मां की अस्मिता व अस्तित्व के खिलाफ वातावरण में जहर घोल रहे हैं। जिस अरुंधती राय व राजनेताओं पर भारत की जनता ने विश्वास किया और उन्हें देश और समाज के सेवक का दर्जा व सम्मान दिया, वे भारत की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ या कहें भारत के सिरमौर कश्मीर को देश के नक्शे से मिटाने की खुलेआम पैरवी करने लगे हैं। एहसानफरामौशी का आलम यह है कि अरुंधती राय की अगुवाई में अमेरिका और यूरोप के तथाकथित मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की ब्रिगेड तैयार की गई है, जिसमें अधिकतर एनआरआई भारतीय शामिल हैं। इस ब्रिगेड ने कश्मीर के अलगाववादियों की कट्टरवादी दलीलों का समर्थन करते हुए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में भारत विरोधी एक याचिका दायर की है। याचिका में संयुक्त राष्ट्र को जम्मू-कश्मीर में मानवता पर संकट से निपटने के लिए हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई गई है। याचिका में कश्मीर में पिछले माह मुसलमानों पर हुए हमलों पर चिंता व्यक्त की गई, जबकि 1989-90 में चार लाख से अधिक कश्मीरी पंडितों को घर-बार छोड़कर कश्मीर से भागने पर विवश करने की घटना का जिक्र तक नहीं किया गया है। शायद, अरुंधती राय ब्रिगेड के मानवाधिकार के दायरे में कश्मीरी पंडितों के बेघर होने का दर्द नहीं आता। खैर, याचिका में यह भी कहा गया है कि जम्मू क्षेत्र में मुस्लिम धार्मिक-सांस्कृतिक विरासत को तबाह किया जा रहा है। और यह भी कि 1989 से कश्मीर में सशस्त्र स्वतंत्रता आंदोलन चल रहे हैं, जिन्हें कुचलने के लिए भारत की कार्रवाइयों से मानवाधिकार हनन की गंभीर घटनाएं हो रही हैं।
कैसी विडंबना है, इतना गंभीर आरोप लगाने वाले तथाकथित मानवाधिकार कार्यकर्ता इसी भूमि की पैदाईश हैं। क्या कभी आपने सहज भाव से भारत के नक्शे की कल्पना कश्मीर को अलग करके की है? क्या हमारे ही पूर्वजों ने इस देश की संप्रभुता और आजादी की खातिर अनगिनत कुर्बानियां दी थीं और गुलाम भारत को अपने खून से सींच कर अहलेचमन बनाया था? कल तक तो पाकिस्तान के भेजे आतंकी हमारे देश की संप्रभुता पर हमला कर रहे थे, अब तो अपने ही घर के लोग और वह भी जाने-माने लोग, स्वार्थ में इस कदर वशीभूत हो चुके हैं कि अपनी ही मां से गद्दारी करते उनकी रूह तक नहीं कांप रही हैं...
क्या आप अरुंधती राय को जानते हैं? आपमें से कई लोग कम से कम इतना जरूर जानते होंगे कि वह भारत की प्रसिद्ध लेखिका व समाजसेविका हैं। पर क्या आप यह जानते हैं कि उन्हें खुद को भारतीय कहने में शर्म आती है। हैरानी हो रही है न, पर यह सच है। यही नहीं, वह भारतविरोधी मुहिम भी चला रखी है, जिसमें उनका साथ दे रहे हैं कई एनआरआई भारतीय। मुहिम रूपी इस राष्ट्रविरोधी दुष्साहस का मकसद है, भारत से कश्मीर को आजाद कराना। सोमवार (15 तारीख) को जब पूरा देश राजधानी दिल्ली में आतंकी बम विस्फोट की घटना से चिंतित था, तब श्रीनगर में आयोजित कश्मीरियों की एक रैली में अरुंधती राय बोल रही थी,‘'कश्मीर को भारत और भारत को कश्मीर से आजादी चाहिए। लोग कश्मीरियों की बात नहीं सुनना चाहते हैं।'
अपने देश की सहनशक्ति वाकई में असीम है कि एक तरफ, अपने ही देश के मतीभ्रष्ट नौजवानों का संगठन सिमी आईएसआई के इशारे पर देश में आतंकी वारदात को अंजाम दे रहा है और इंडियन मुजाहीद्दीन के नाम उसकी जिम्मेदारी भी ले रहा है। दूसरी तरफ, अल्पसंख्यक वोट बैंक बचाने लिए अपने ही देश के राजनेता सिमी के रहनुमा बने फिर रहे हैं। पुलिस की खुफिया शाखा और एसटीएफ के सूत्रों की मानें तो ऐसे आतंकियों को पनाह देने वालों में मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात व उत्तर प्रदेश के कई राजनेता और उद्योगपति शामिल हैं। राजनेताओं में कांग्रेस, भाजपा के अलावा कई क्षेत्रीय दलों के बड़े-छोटे पदाधिकारी भी शामिल हैं।
वाह! धन्य हैं भारतमाता और उसकी सहनशीलता, जिसकी कोख से पैदा लेकर, खून-पसीने से हासिल आजाद भारत में पल-बढ़कर कुछ लोग उसी मां की अस्मिता व अस्तित्व के खिलाफ वातावरण में जहर घोल रहे हैं। जिस अरुंधती राय व राजनेताओं पर भारत की जनता ने विश्वास किया और उन्हें देश और समाज के सेवक का दर्जा व सम्मान दिया, वे भारत की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ या कहें भारत के सिरमौर कश्मीर को देश के नक्शे से मिटाने की खुलेआम पैरवी करने लगे हैं। एहसानफरामौशी का आलम यह है कि अरुंधती राय की अगुवाई में अमेरिका और यूरोप के तथाकथित मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की ब्रिगेड तैयार की गई है, जिसमें अधिकतर एनआरआई भारतीय शामिल हैं। इस ब्रिगेड ने कश्मीर के अलगाववादियों की कट्टरवादी दलीलों का समर्थन करते हुए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में भारत विरोधी एक याचिका दायर की है। याचिका में संयुक्त राष्ट्र को जम्मू-कश्मीर में मानवता पर संकट से निपटने के लिए हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई गई है। याचिका में कश्मीर में पिछले माह मुसलमानों पर हुए हमलों पर चिंता व्यक्त की गई, जबकि 1989-90 में चार लाख से अधिक कश्मीरी पंडितों को घर-बार छोड़कर कश्मीर से भागने पर विवश करने की घटना का जिक्र तक नहीं किया गया है। शायद, अरुंधती राय ब्रिगेड के मानवाधिकार के दायरे में कश्मीरी पंडितों के बेघर होने का दर्द नहीं आता। खैर, याचिका में यह भी कहा गया है कि जम्मू क्षेत्र में मुस्लिम धार्मिक-सांस्कृतिक विरासत को तबाह किया जा रहा है। और यह भी कि 1989 से कश्मीर में सशस्त्र स्वतंत्रता आंदोलन चल रहे हैं, जिन्हें कुचलने के लिए भारत की कार्रवाइयों से मानवाधिकार हनन की गंभीर घटनाएं हो रही हैं।
कैसी विडंबना है, इतना गंभीर आरोप लगाने वाले तथाकथित मानवाधिकार कार्यकर्ता इसी भूमि की पैदाईश हैं। क्या कभी आपने सहज भाव से भारत के नक्शे की कल्पना कश्मीर को अलग करके की है? क्या हमारे ही पूर्वजों ने इस देश की संप्रभुता और आजादी की खातिर अनगिनत कुर्बानियां दी थीं और गुलाम भारत को अपने खून से सींच कर अहलेचमन बनाया था? कल तक तो पाकिस्तान के भेजे आतंकी हमारे देश की संप्रभुता पर हमला कर रहे थे, अब तो अपने ही घर के लोग और वह भी जाने-माने लोग, स्वार्थ में इस कदर वशीभूत हो चुके हैं कि अपनी ही मां से गद्दारी करते उनकी रूह तक नहीं कांप रही हैं...
इस देश में विभीषणों व जयचंदों की कमी थोड़े ही है और अरुंधती राय तो मुझे शुरू से ही विदेश एजेंट नजर आती थी समाज सेवा के नाम को भी दागदार कर रही है ये ,कश्मीर पर बयानों के लिए इसे सजा मिलनी चाहिए और भारतीय मिडिया को इसका हर तरह से बहिस्कार करना चाहिए इस औरत की कोई भी ख़बर कवर नही करनी चाहिए ,इस तरह के लोग जो चर्चाओं में बने रहने के लिए विवादित बयान जारी करतें है उनका बहिस्कार ही करना ठीक है |
ReplyDeleteविदेशी पुरस्कारों के लिए कुछ भी किया जा सकता है....
ReplyDeleteपढ़ कर कोई आश्चर्य नहीं हुआ. सब कुछ जग जाहिर ही है :)
यह देश सदा से गद्दारों का स्वर्ग रहा है। इनके दोगलेपन की कोई सीमा नही है। ये किसी और के इशारे पर नाच रहे हैं।
ReplyDeleteसर नमस्कार
ReplyDeleteजब्कोई आपनी माँ को माँ मानने साईं इंकार करता है तो जरुर यह बा सामने आती है की वह औलाद नही बल्कि औलाद के नाम पर धब्बा है इनकी रगों मे खून नही बल्कि जहर दोड़ रहा है जो इन फिजाओ मे घोल रही है समाज सेविका का ढोग रचने वाली यह किसी देशद्रोही साईं कम नही है हम कहते है की माँ अपने आप मे इक पुरी सृस्ती के सामान है यह लोग नारी के नाम पर कलंक है हम लोग आतंकवादी को दोस देती है की वे हमारी संस्कृति को नस्ट करने पर लगे है पर इन लोगो को क्या कहेगे जो ख़ुद देस को तबाह करने पर तुले हुऐ है
sir aapka article accha hai sath hi aapki bat bhi bahut sahi hai lekin sir ye log vivadon main aane ke bad bhi apni aadat nahin chhodte kamate hamare hi desh main aaker hai aur bat bahar ke logon ki tarha karte hai.
ReplyDeleteshayad aapne pure bhasan ko nahi padha hai udai ji..
ReplyDeleteमुझे लगता हे यह इग्लेण्ड से हे इस के बारे पहले भी किसी बात पर चर्चा हुयी थी,लेकिन अगर यह अपने आप कॊ भारतीय नही कहती तो इसे भारत के मामले मे बोलने का क्या हक हे, ओर फ़िर यह तो साफ़ जाहिर हे जितनी भी समाज सेविका, बाल सेविका, ओर नारी सेविका होती हे सब की सब ऎसी ही होती हे.......
ReplyDeleteआप के लेख के लिये बहत धन्यवाद, लेकिन सभी एनआरआई ऎसे नही होते, हो सके तो इस का चित्र यहां से हटा दो देखने मे परेशानी ओर नफ़रत होती हे
सर ये देश को बांटने की साजिश है महज चंद वोटों की खातिर,चाहे वो राज ठाकरे कर रहे हो या मुलायम सिंह हो,या अरुंधती राय!अपनी अभिव्यक्ति प्रकट करने की स्वतंत्रता सबको है लेकिन अभिव्यक्ति ऐसी हो की देश टुकडो में बाँटने को मजबूर हो जाये तो ऐसे लोगो पर देश द्रोह का मुकदमा चलना चाहिए!
ReplyDeletesir me aapki bat se sahmat hoo par sir ham es bat ko bhi nahi jhuthala sakate hai ki hamari sena bhi kasmiri logo ke sath atyachar karti hai.arundhati rai ne jo kiya vah galat parntu ham sirf unki bat karke hi mamale ko chod nahi sakate hai.
ReplyDeleteसर, आपका मानना सही है देश में बसे गद्दार लोगों से देश को कोई फ़ायदा नहीं, केवल नुकसान है.
ReplyDeleteaap sahi kehte hai ki india mai atankwadi rehte aur nuksan bhi karte. koi bahar sai aakar itna kuch nahi kar sakta. yeh sub rajneeti key funday hai
ReplyDelete