
भारत और भारतवासी आतंकियों से बुरी तरह से घिर चुके हैं। ऐसा लगता है जीना है तो सुकून को भूल जाओ...बाकी सभी वादों को छोड़कर आतंकवाद की शरण ले लो। वर्तमान भारत, एक तरफ अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के बारंबार धमाकों से, तो दूसरी तरफ धार्मिक आतंकवाद के दंगों से, तो तीसरी तरफ क्षेत्रीय आतंकवाद की गैरमराठी के खिलाफ दादागिरी, तो चैथी तरफ जातीय आतंकवाद की हिंसा से आक्रांत हैं...बच के कहां जाओगे आप?...क्योंकि असल में केंद्र समेत कोई भी सरकार जनता की नहीं, सत्ता की है। पुलिस फोर्स भी जनता की नहीं, नेताओं व सत्तासीनों की सुरक्षा के लिए है। खुफिया विभाग फेल है, यह विदित ही है और अब ऐसे में न्यायालय की क्या विसात, किसी को भी कोई भी उपाधि दे या चेतावनी देते रहे, कोई फर्क नहीं पड़ता...चाहे, वह सरकार हो या नेता हो या अफसर।
सीधीबात पर सुकून या कहें भ्रम में चार दिनों तक देश की दशा पर चिंतन लिखने से बचा, सोचा...अगली बार किसी और विषय पर विचार करेंगे, जो मन को तसल्ली दे कि समस्याएं हैं, तो उसका हल भी करने वाले हैं...लेकिन कहते हैं कि आंखें मूंद लेने से आप हकीकत को झुठला नहीं सकते...और फिर, यदि मनोरंजन के लिए ही सीधीबात करनी हो, तो कम से कम देश के पाठकों के बीच अवसर की किल्लत कभी नहीं होती। क्योंकि हम हर मुश्किल में चमड़ी मोटी कर जीने के आदि हो चुके हैं...तभी तो एक नहीं, चारों तरफ से जब देश आतंकियों के निशाने पर है, तब भी हम बड़े मजे से क्रिकेट देखने, तो दीवाली की शॉपिंग करने में, जेट समेत अन्य एयरलाइंस के आर्थिक संकट से उत्पन्न हजार-दो हजार कर्मचारियों की नौकरी बचाने में, चंद्रयान प्रक्षेपण की करीब आती घड़ी पर खुशियां मनाने में और सबसे अधिक चुनावी राजनीति की गोटियां सेट करने-करवाने आदि में मस्त हैं।
रविवार को एक क्षेत्रीय आतंकवादी संगठन महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के आतंकियों ने गैरमराठी छात्रों पर हमला बोल दिया। वे केंद्रीय रेल विभाग की प्रतियोगिता परीक्षा देने मुंबई गए थे। इस घटना के दृश्य आप सबों ने टीवी पर जरूर देखे होंगे...शर्मनाक घटना थी...आप भी सहमत होंगे...पर इसके बाद राज ठाकरे की गिरफ्तारी से पहले व बाद के राजनीतिक बयानों को जरा देखिए...यह भी आपको कम शर्मनाक नहीं लगेंगे...
मुझे गिरफ्तार करो, महाराष्ट्र जल उठेगा-राज ठाकरे,
एमएनएस ने नहीं हमने पीटा उत्तर भारतीयों को-शिवसेना,
सरकार अहिंसा की भाषा नहीं समझती-राज ठाकरे,
‘भैया जी’ लोगों से मराठी में बात करो -राज ठाकरे
राज की गिरफ्तारी महाराष्ट्र के लिए शर्म की बात-मनसे....
इस शर्मनाक घटना के दो दिनों बाद पुलिस राज ठाकरे की गिरफ्तारी करने की शक्ति जुटा पाई...वह शायद इसलिए कि देश में चुनावी मौसम शुरू हो गया है...इसलिए बढ़े राजनीतिक दबाव के कारण। लेकिन क्या गिरफ्तारी के बाद राज ठाकरे के उस बयान को गिदड़भभकी साबित करने में महाराष्ट्र पुलिस व सरकार सक्षम है कि ‘मुझे गिरफ्तार करो, महाराष्ट्र जल उठेगा’....शायद नहीं, क्योंकि गिरफ्तारी के दिन आ रही खबर की हेडिंग यही कहती है- राज ठाकरे की गिरफ्तारी के खिलाफ मचा महाबवाल....कितनी बेबस है हमारे देश की कानून-व्यवस्था! या फिर गैरजिम्मेदार, भ्रष्ट, अनैतिक हैं इसके संचालक। इसका फैसला करने की जिम्मेदारी जनता की होती है, पर वह कभी नहीं करती...क्यों? इसका जवाब तो पहले दिया जा चुका है-सितम के कोड़े खा-खाकर चमड़ी मोटी हो गई, अब कोई खास असर नहीं होता...
और सचमुच महाराश्टर जल उठा .....
ReplyDeleteयही होना था....इस की उम्मीद भी थी
सर नमस्कार
ReplyDeleteइस तरह की वारदाते भारत की सुख और सन्ति मे बाधा डालती है साथ ही राज ठाकरे जैसे नेताओ को तो जनता की अदालत मे लाना ठीक होगा क्योकि सन्ति भंग करना इन लोगो का मकसद हो गया है आख़िर महारास्त्र की जनता कब जागरूक होगी की राज जैसे कंस का संहार करेगी क्या हमारी सासन व्यवस्था राजनितिक लोगो के हाथ की कठपुतली से बहर आ पायेगी की नही यह हम जैसे योवाओ के लिये इक चुनोती के सामान है
भैये ये बात नहीं है...सही बात तो यह हैं कि इस देश में ऎसी व्यवस्था बना दी जाए जिससे व्यक्ति अपने ही प्रांत में नौकरी कर सके, अपने ही प्रांत में व्यवसाय कर सके, यदि किसी दूसरे राज्य में जाना भी पड़े तो उसके लिए पासपोर्ट और वीसा हो. ये बुरा विचार नहीं है, देखा जाए तो राज ठाकरे पूरे देश को इस तरह से बाँट देना चाहते हैं कि आदमी आसानी से अपने पासपोर्ट का प्रयोग कर सके।
ReplyDeleteसर नमस्कार
ReplyDeleteइस तरह की वारदाते भारत के सुख और शान्ति मे बाधा डालती है. राज ठाकरे जैसे नेताओ को तो जनता की अदालत मे सबक सिखाना होगा. अशांति इन लोगो का मकसद हो गया है आख़िर महाराष्ट्र की जनता कब जागरूक होगी कि राज जैसे कंस का संहार हो सके. क्या शासन व्यवस्था राजनीतिकों के हाथ की कठपुतली बनकर रह गयी है.
सर,ऐसा लग रहा है की मुंबई एक गांव बन गया है जहाँ के जमीदार राज ठाकरे है पुरानी फिल्मो की तरह वहा भी ठकुराई की जा रही है इतने टुकड़े तो भारत के अंग्रेज भी नही करते जितने राज ठाकरे करने के सपने देख रहा है ऐसे लोगो की तो नागरिकता छीन लेनी चाहिए जो देश के संबिधान को चुनोती दे रहे है .
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