आनंद आचार्य
क्रिकेट के नाम पर करोडो -अरबों रूपये लुटा देनी सरकार हो या भारत की आजादी को कैश करने वाली व्यावसायिक कम्पनीयाँ और या हो खुले आम लोगों से देश सेवा के नाम पर करोडो रूपयों बटोकर वाले स्वयं सेवी संगठन इन कीसि को भी कश्मीर सिंह और ऐसे ही अन्य देशभक्तों की तरफ ध्यान ही नही गया कि उसकी जान की कीमत पर हम सब सुरक्षित होकर प्रगति के पथ पर आगे बढ रहे है। रिहाई के अगले दिन हुए एक पत्रकार वार्ता मे जब पाकिस्तान जेल से रिहा हुए होशियारपुर के ६७ वर्षीय कश्मीर सिंह ने जब वर्तमान और पिछली सरकारों पर आरोप लगाये कि ”भारत सरकार ने मेरे परिवार की कीसी तरह की कोई जिम्मेवारी नही निभायी, मुझे मेरी देश सेवा के बदले मेरे परिवार को रोजी - रोटी तक व्यवस्था नही कर सकी। मेरी पत्नी लोगों के घरों मे एक नौकर की तरह और जैसे तेसे अपने परिवार का पाला-पोसा। भारत सरकार ने केवल कागजी कार्यवाही के अलावा कुछ नही किया, अगर वो मेरे परिवार का ध्यान रख लेती तो मुझे बेहद खुशी होती और देश सेवा के लिए मेरे साथ अन्य लोगों का भरोसा रहता, लेकिन मुझे गहरा दुख है कि मुझे देश सेवा का यह फल मिला“।
रूंआसे कश्मीर सिंह के मूंह से जब यह बोल निकल रहे थे तो मुझे नही पता कि सम्बंधित अधिकारियों और राजनेताओं पर इसका क्या असर पडा होगा लेकिन मुझे इस देश का नागरिक कहलाने मे बडी ही शर्म महसूस होने लगी है कि जिस देश मे अपने राष्ट्र रक्षकों के प्रति इतनी सवेंदहीनता है, वो कैसे आने वाली पीढी को इस क्षेत्र मे कार्य करने के लिए प्रेरणा देगा। जिस दिन कश्मीर सिंह की वक्तव्य अखबारों की सुखिर्यां बना हुआ था उसी दिन ये लाइने भी थी कि ”युवाओं ने चुनी कम्पनीयों की राह, सेना नही रही आकर्षण“ - ये लाइने एक ऐसे भविष्य की तरह संकेत कर रही थी कि देश मे व्यापार और तकनीकी ने तो बहुत उन्नती कर ली है, लेकिन उसकी सुरक्षा के लिए फौज नही के बराबर है।
केवल अपने और अपने परिचितों के निजि स्वार्थो की पूर्ति करने की प्रवृत्ति वाले नेताओं और अधिकारियों ने इस देश का इतना बेडा गर्क दिया है कि आम नागरिक का सर उठाकर जीना भी बडा मुश्किल हो रहा है। कश्मीर सिंह की जब यह पीडा सामने आयी तो उल्टा उसी पर आरोप लगाया जा रहा है कि उन्होने सबके सामने इस स्वीकारोक्ति की ”वह भारत के एक जासूस है“, के कारण पाकिस्तान जेलों मे करीब ६०० भारतीय जासूसी के आरोप मे कैद है, की रिहाई खतरे मे पड सकती है। देश की सुरक्षा के सामने परिवार की भी बलि दे देना राष्ट रक्षकों की विशेषता रही है, लेकिन इसका मतलब यह कदापि नही की बेरूखी और लापरवाही के चलते उनके परिवार की बली दी जाये।
भ्रष्टाचार के बडे बडे कीर्तिमान गढ देने वाले इन लोगों को इतना भी नही दिख रहा है कि जिन लोगों के भरोसे ही हम और हमारा देश-परिवार सुरक्षित है। पूरे विश्व के सामने हम आजादी के साथ जी पा रहे है तो केवल ऐसे ही लोगों के कारण जो अपना तन मन देश पर न्यौछावर कर रहे है और बदले मे उनकी इच्छा सिर्फ इतनी सी है कि उसका परिवार भी आफ और हमारे परिवारों की तरह ही सम्मानजनक रोजी रोटी के साथ सुख चैन से जी सके। उन्होने कभी भी राजनेताओं और अधिकारियों की तरह बडे बडे बंगले, लम्बी लम्बी गाडयां और ढेरो नौकर-चाकर नही मांगे।
साभार : ख़बर एक्सप्रेस डॉट कॉम
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