...जाने कब कौन पिचकारी, बंदूकों सी तन जाए

उदय केसरी
सीधीबात के सुधी पाठकों व ब्‍लॉगर बंधुओं को होली की हार्दिक शुभकामनाएं!!!

होली पर कुछ खास कहने को नहीं है। देश में लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व की तिथियों की घोषणा हो चुकी है, तो देश के बाहर पाकिस्तान के नाबालिग लोकतंत्र की हत्या होने वाली है। तालिबान का भय और बेकाबू लश्‍कर आतंकियों का रोना रोककर पाकिस्तान अमेरिका, हिन्दुस्तान समेत पूरी दुनिया को गुमराह करने में लगा है, ताकि मुंबई पर हमले के दोषियों पर कार्रवाई के लिए उस पर दबाव नहीं बनाया जाए। इस देश के चालाक शासकों को पाकिस्तान के अमन-चैन से कोई खास फर्क नहीं पड़ता। बस, उनकी भय की सत्ता कायम रहे, यही चाहते हैं वे। श्रीलंकाई क्रिकेट टीम पर हमला भी महज एक ड्रामा है। उस आतंकवाद से खुद की बेबसी दुनिया को दिखाने के लिए, जिसे खुद पाकिस्तान ने ही पाला-पोसा है।

खैर, छोड़िए आतंकवाद और पाकिस्तान के दोहरे चरित्र की कहानी अभी चलती रहेगी। इस सवाल का जवाब फिलहाल उर्दू की एक चलताऊ शेर ही हो सकता है- इब्तदा-ए-इश्क़ है रोता है क्‍या, आगे आगे देखिए होता है क्‍या।

इस बरस की होली हिन्दुस्तान के सैकड़ों घरों में फीकी रहेगी। वजह, आप सबों को मालूम है-आतंकवाद, जिसने देश के कई शहरों में बम विस्फोटों के रूप में कहर बरपाये हैं। इसके शिकार सैकड़ों भारतीयों के परिवारों में तो कम से कम होली का रंग फीका रहेगा।....हमें भी उनके प्रति कम से कम सहानुभूति बनाए रखना चाहिए और कुछ करने की इच्छा हो, तो आगामी लोकसभा चुनाव में ऐसी सरकार बनाने की मुहिम में शामिल होना चाहिए, जो देश व देशवासियों की सुरक्षा करने में दमदार भूमिका अदा करने के लायक हो। मैं तो पहले से ही युवा नेतृत्व की आवाज उठाता रहा हूं। कम से कम देश के युवाओं को तो इस पर विचार करना ही चाहिए कि आतंकवाद और आंतरिक सुरक्षा की समस्या से लड़ने के लिए युवा जोश व सोच की देश को जरूरत है। यह तभी होगा जब देश के युवा जागेंगे।

इस होली पर मेरे दोस्त पत्थर नीलगढ़ी की यह पंक्तियां यहां मौजूं हैं-

आतंक के इस माहौल में,
इस बार की होली फीकी है।
अबीर की छुअन कटीली है,
रंगों की गंध भी तीखी है।

जंगल में टेशू की सूरत,
खून में भींगी लगती है।
जलती होली की हर लकड़ी,
इंसानों सी लगती है।

इन हालातों में फिर होली,
कैसे रंग जमायेगी।
जाने कब कौन पिचकारी,
बंदूकों सी तन जायेगी।
-पत्थर नीलगढ़ी

7 comments:

  1. बहुत खूब... बधाई स्वीकार करें...

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  2. wish you a happy and prosperous holi

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  3. परोसी देश को आतंकबाद का नाटक करना बहुत अच्छी तरह से आता है यह कहना आपका सही है

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  4. "" श्रीलंकाई क्रिकेट टीम पर हमला भी महज एक ड्रामा है। उस आतंकवाद से खुद की बेबसी दुनिया को दिखाने के लिए, जिसे खुद पाकिस्तान ने ही पाला-पोसा है।""


    aapka yah line bahut achha laga

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  5. मुझे नही लगता कि पाकिस्‍तान आतंकवाद का नाटक कर रहा है अगर ऐसा होता तो आज ये स्‍िथ्ती नही आती और इतनी अफरा तफरी नही मची होती, आज पाकिस्‍तान पूरी तरह कमजार हो चुका है इस देश का कभी भी कुछ भी हो सकता है अगर ये सब आतंकवाद का नाटक करना है तो फिर पाकिस्‍तान को इसका खामियाजा भुगतना ही पडे्गाा अगर सच में ये नाटक है तो इसके पीछे भी पाकिस्‍तान की कोइ ना कोइ चाल है अगर हम ये कहकर चुप बैठ जाये कि, ये पाकिस्‍तान का आंतरिक मामला है या और कुछ, और अपने देश की आंतरिक सुरक्षा पर ध्‍यान न दें तो फिर पाकिस्‍तानी या अन्‍य आतंकवादी अपना काम आसानी से कर जायेंगें और हम देखते रह जायेगें ा

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  6. I don't drop many remarks, however after looking at through some of the comments here "...जाने कब कौन पिचकारी, बंदूकों सी तन जाए". I do have 2 questions for you if you do not mind. Is it only me or does it seem like some of the remarks come across as if they are written by brain dead people? :-P And, if you are writing on additional online social sites, I'd like to follow
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