उदय केसरी
अमेरिकी कांग्रेस की एक रिपोर्ट को भारत के लिए चिंता का सबब बताया जा रहा है। खबर यह है कि पाकिस्तान के पास करीब 60 परमाणु बम हैं और इनमें ज्यादातर के निशाने पर भारत के प्रमुख शहर हैं। यह भी कि पाकिस्तान और परमाणु बम बनाने के लिए विखंडनीय सामग्री तैयार करने में लगा है।...क्या वाकई में यह खबर जम्बो मंत्रिमंडल वाली केंद्र की यूपीए-2 सरकार की चिंता बढ़ा सकती है?...अगर ऐसा होता तो अब तक इसपर भारत की प्रतिक्रिया भी आ जाती।
अमेरिकी कांग्रेस की एक रिपोर्ट को भारत के लिए चिंता का सबब बताया जा रहा है। खबर यह है कि पाकिस्तान के पास करीब 60 परमाणु बम हैं और इनमें ज्यादातर के निशाने पर भारत के प्रमुख शहर हैं। यह भी कि पाकिस्तान और परमाणु बम बनाने के लिए विखंडनीय सामग्री तैयार करने में लगा है।...क्या वाकई में यह खबर जम्बो मंत्रिमंडल वाली केंद्र की यूपीए-2 सरकार की चिंता बढ़ा सकती है?...अगर ऐसा होता तो अब तक इसपर भारत की प्रतिक्रिया भी आ जाती।
दरअसल, परमाणु बम केवल पाकिस्तान के पास ही नहीं हैं। एक अनुमानित सूची के मुताबिक भारत के पास भी करीब 60 परमाणु बम हैं। बस उन बमों के निशाने पर कौन है, यह गोपनीय तथ्य है। इसी तरह बाकी प्रमुख देशों के पास भी परमाणु बम उपलब्ध हैं। इसलिए अमेरिकी कांग्रेस की रिपोर्ट भारत से अधिक विश्व समुदाय के लिए चिंताजनक है कि परमाणु अप्रसार संधि आदि कई प्रयत्नों के बाद भी पाकिस्तान जैसे देश, जिसकी अर्थव्यवस्था सालों से कर्ज के पहिये पर चल रही है, वह भारत के खिलाफ भारत जितने ही परमाणु बम बना रखे हैं। इस पर चिंता तो अमेरिका अधिक होनी चाहिए, जिससे कर्ज और अनुदान के रूप में अरबों डालर लेकर पाकिस्तान विश्व विध्वंशक हथियार जुटाने में लगा है। जबकि अमेरिका आतंक से लड़ने के नाम पर पाकिस्तान को आर्थिक मदद करता रहा है।
दरअसल, शीत युद्ध के एक-डेढ़ दशक बाद से पूरे विश्व में परमाणु बम बनाने की होड़ मची है। इसके परिणामस्वरूप विश्वभर में 23,300 से अधिक परमाणु बम बन चुके हैं। इनमें 8190 से अधिक बम तत्काल इस्तेमाल के लिए तैयार हैं, जिनमें 2200 बम तो अमेरिका और रूस के पास उपलब्ध हैं। विभिन्न देशों में उपलब्ध परमाणु बमों की वास्तविक संख्या तो गोपनीयता का प्रश्न है, फिर भी जो सूचनाएं लीक होकर आती रही हैं, उसके मुताबिक एक अनुमान के आधार पर विश्व में परमाणु बमों की स्थिति इस प्रकार है-
देश परमाणु बमों की संख्या
रुस 13000
देश परमाणु बमों की संख्या
रुस 13000
अमेरिका 9400
फ्रांस ३००
चीन 240
यूके 185
इजरायल 80
पाकिस्तान 60
भारत 60
नार्थकोरिया 10
अब ऐसी दशा में क्या फर्क पड़ता है किस बम का मुंह किधर है। भारत जानता है कि बंटवारे के बाद से पाकिस्तान का रवैया भारत के प्रति भीतरघात का रहा है। और यह इसमें कोई दो राय भी नहीं है। पाकिस्तान के रावलपिंडी में 1965 से परमाणु कार्यक्रम शुरू हो चुका था, जो लगातार जारी है। जब पाकिस्तान को अपने देश की शासन व्यवस्था व विकास पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए था, तब से वह भारत के खिलाफ घातक से घातक हथियार जुटाने में लगा रहा है। उसी का परिणाम है कि आज सबसे अधिक मंदी, गरीबी व भूखमरी और अस्थिर शासन व्यवस्था का शिकार पाकिस्तान है।
लेकिन आश्चर्य यह कि गठन से लेकर अब तक पाकिस्तान के हुक्मरानों को अपने देश में स्थायी शांति व्यवस्था व सरकार की चिंता नहीं हुई है। पाकिस्तान की अधिकांश ऊर्जा अब तक भारत विरोधी गतिविधियों और साजिशों में खर्च होती है। इसलिए अमन पसंद भारत के लिए भी यह जरूरी है कि पाकिस्तान के सिरफिरे हुक्मरानों को काबू में रखने के लिए उनके हरेक सवाल का जवाब तैयार रखे।