अशोक चक्रधर
उबली जन-मन भावना, महंगाई की आंच,कीमत इतनी नुकीली, रस्ते पर ज्यों कांच।रस्ते पर ज्यों कांच, बालकों को बहलाओ,बटुआ लहूलुहान, न शॉपिंग करने जाओ।चक्र सुदर्शन कहे— 'चाय है कैसी बबली?''गैस बचाने के चक्कर में आधी उबली।'
साभार: तहलका हिन्दी डॉट कॉम
बहुत उम्दा.
ok it can be better
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