उदय केसरी
हाल के दिनों पर नजर डालें तो देश में कानून व्यवस्था की स्थिति में जबरदस्त फेरबदल हुआ है। नीतिश कुमार के बिहार पर से बदनामी के दाग धुलने लगे हैं, लेकिन शायद ये धुले हुए दाग का पानी बहकर उत्तर प्रदेश जा रहा है, क्योंकि गौर से देखें तो उत्तर प्रदेश पर पुराने बिहार का रंग चढ़ने लगा है। थोड़ा और गौर फरमायें तो इस दागदार पानी का बहाव उत्तर प्रदेश से होते हुए दिल्ली तक जा पहुंचा है। दरअसल, गंदा पानी प्राय: वहीं जमा होता है, जहां गड्ढे अधिक होते हैं। यही नहीं, अब चूंकि दिल्ली में ही केंद्र सरकार का भी दरबार है तो राष्ट्रीय कानून व्यवस्था से भी इस पानी की गंध आने लगी है।
हाल के दिनों पर नजर डालें तो देश में कानून व्यवस्था की स्थिति में जबरदस्त फेरबदल हुआ है। नीतिश कुमार के बिहार पर से बदनामी के दाग धुलने लगे हैं, लेकिन शायद ये धुले हुए दाग का पानी बहकर उत्तर प्रदेश जा रहा है, क्योंकि गौर से देखें तो उत्तर प्रदेश पर पुराने बिहार का रंग चढ़ने लगा है। थोड़ा और गौर फरमायें तो इस दागदार पानी का बहाव उत्तर प्रदेश से होते हुए दिल्ली तक जा पहुंचा है। दरअसल, गंदा पानी प्राय: वहीं जमा होता है, जहां गड्ढे अधिक होते हैं। यही नहीं, अब चूंकि दिल्ली में ही केंद्र सरकार का भी दरबार है तो राष्ट्रीय कानून व्यवस्था से भी इस पानी की गंध आने लगी है।
इस गंदे या दागदार पानी से हमारा तात्पर्य तो अब तक आप समझ ही गये होंगे- अपराध, घोटाला और गबन, अन्याय, अत्याचार। एक अनुमान है कि पिछले एक साल के दौरान देश में जितने घोटालों का खुलासा हुआ है, उतने पिछले साठ सालों में नहीं हुए। 1996 में पर्दाफाश हुए 900 करोड़ के चारा घोटाले के बाद भी इससे भी बड़े घोटालों के खुलासे होंगे यह तो शायद देश की आम जनता ने सोचा भी नहीं होगा। लेकिन भारत की जनता तो भोली-भाली है और वह तो घोटालेबाज नेताओं को तक तब तक दोषी नहीं मानती और वोट देते रहती, जबतक न्यायालय उसे सजा सुनाकर जेल नहीं भेज देता।
खैर, भारत देश और यहां की जनता यदि उदार है तो उसका फायदा चालाक नेता, अफसर, व्यवसायी और अपराधी तो उठायेंगे ही। सो, अब घोटालों के फर्दाफाश होने की खबरे भी मीडिया में वैसे ही हो गई है, जो रोज चोरी, डकैती, लूट और बलात्कार की खबरें आती रहती हैं। अव्वल तो यह कि घोटाले के आरोपी नेताओं और अफसरों को अब शर्म नहीं आती, बल्कि वे तो इसे घोटाला मानते ही नहीं हैं। वे मीडिया के सामने बेखौफ अपनी दलीलें देते नजर आते हैं। वैसे, सच कहें तो आम लोगों को भी इससे कोई मतलब नहीं रह गया कि किसके बंगले, गाड़ी और कारोबार में काली कमाई लगी है, उसे तो वे सब ‘महान’ और बड़े लोग लगते हैं जो धनवान हैं।
कानून व्यवस्था में फेरबदल का असर महाराष्ट्र पर देखा जा सकता है, वहां की पुलिस को काफी तेजतर्रार माना जाता रहा है, लेकिन शायद दिल्ली तक पहुंच चुका गंदा पानी अंदर ही अंदर मुंबई भी पहुंच गया है। यहां पहले अपराधियों का अगल ही वर्ल्ड; अंडर वर्ल्ड हुआ करता था। वह शायद अब ओपन वर्ल्ड में तब्दिल हो चुका है, क्योंकि यहां के मुख्यमंत्री से लेकर विधायक तक और विपक्ष दलों के नेताओं तक कौन कब किस घोटाला, गबन या अपराध में आरोपी बन सामने आ जाते है समझ में नहीं आता। मसलन, कानून व्यवस्था बनाये रखने में लापरवाही के लिए विलास राव देशमुख को मुंबई पर आतंकी हमले के बाद हटाया गया, फिर आदर्श सोसाइटी घोटाले में शामिल होने के आरोप में अशोक चौहान को हटाया गया और दिल्ली से पृथ्वीराज चौहान को सीएम की गद्दी संभालने के लिए भेजा गया। लेकिन अभी एक साल भी नहीं पूरे हुए हैं कि उन पर सीवीसी नियुक्ति के मामले थॉमस के बारे में गलत जानकारी देने का आरोप लगा है और यह आरोप कोई और नहीं स्वयं प्रधानमंत्री ने लगाया है। यानी महाराष्ट्र में कुछ महीने बाद किसी और आदमी को मुख्यमंत्री बना दिया जाये तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। अब ऐसे फेरबदल और घोटालों के दौर में कानून व्यवस्था पर शासकों का कितना ध्यान रहता होगा, यह समझना मुश्किल नहीं है। और यह भी कि बाकी पावरफुल नेता, अधिकारी और अपराधी इस दौर का कैसे इस्तेमाल करते होंगे, यह भी समझ सकते हैं-जितना चाहो लूटो, भारत की कानून व्यवस्था कुछ नहीं कर पायेगी। सालों टैक्स जमा नहीं करने वाले और स्वीस बैंक में काला धन जमा करने वाले हसन अली विरूद्ध भारत की कानून व्यवस्था क्या कुछ कर पायी है। उसे तो गिरफ्तार करने में पुलिस डरती रही है। इस बात पर जब सुप्रीम से फटकार लगी तब जाकर कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की गई है।
देश में ऐसी कानून व्यवस्था के आलम में ऐसे किसते घोटाले चल रहे होंगे, जिनका आगे चलकर खुलासा होगा। इसे रोका नहीं जा सकता, क्योंकि किसी भी बड़े घोटाले की जांच में सालों लगते है और मामला दर्ज होने के उसकी सुनवाई में सालों लगते हैं। तबतक देश में और इतने बड़े घोटाले सामने आ जाते हैं कि पुराने घोटाले बहुत छोटे लगने लगते हैं। और कभी-कभी उन मामलों को बेनतीजा ही बंद कर दिये जाने की सिफारिश कर दी जाती है। जैसे बुफोर्स घोटाला।
खैर, यह विषय इतना विस्तृत है कि बातों और तथ्यों का कोई अंत नहीं है, फिर भी देश में अबतक फर्दाफाश हुए शीर्ष दस घोटालों की सूची के साथ अपनी बात समाप्त करता हूं-
1. 2जी स्पैक्ट्रम घोटाल : 1.76 लाख करोड़
2. राष्ट्रमंडल खेल 2010 : 70 हजार करोड़
3. तेलगी स्टाम्प घोटाला : 20 हजार करोड़
4. सत्यम कंप्यूटर घोटाल: 14 हजार करोड़
5. बोफोर्स घोटाल : 64 करोड़
6. चारा घोटाला : 900 करोड़
7. हवाला घोटाला : 72 करोड़
8. आईपीएल घोटाला : अज्ञात
9. हर्षद मेहता घोटाला : 2 हजार करोड़
10. केतन पारेख घोटाल : 120 करोड़
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